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भिवाड़ी से एनसीआर को बाहर किया जाए, बीएमआर अध्यक्ष द्वारा आयोजित की गई वार्षिक आम सभा

भिवाड़ी एमसीआर न्यूज़

भिवाड़ी उद्योगों में आने वाली समस्याओं से आवगत कराया, जो हर साल दो तीन महीने अपना संचालन बंद कर रहे है। यहाँ तक की ग्रेटर भिवाड़ी को एनसीआर से बाहर निकालने का विरोध किया। यह समस्या इसलिए है, क्योंकि ग्रेटर भिवाड़ी एनसीआर में है। भिवाड़ी क्षेत्र में वायु प्रदूषण मुक्त और हरा-भरा करने के लिए लगभग 20 हजार पौधे वितरण और पौधरोपण किया गया। भिवाड़ी में क्या बदलाव आने है इसके लिए बीएमआर अध्यक्ष द्वारा आयोजित की गई वार्षिक आम सभा की गई, जो उद्योगपतियों के समक्ष रखी गई थी।

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ग्रेटर भिवाड़ी में क्या-क्या बदलाव करना है

भिवाड़ी सुधार प्रयास में जारी है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना भूमि की आवश्यकता जैसे प्रदर्शनी, ओडिटोरियम मनोरंजन, केंद्र सुपर स्पेशलिटी, अस्पताल, ट्रांसपोर्ट नगर, डिग्री और तकनीकी कॉलेज, लोहा मंडी आदि के लिए प्रयास जारी है, साथ ही गत होते हुए भिवाड़ी उद्योग क्षेत्र पेट्रो लाइन को मेट्रो लाइन से जोड़ने। भिवाड़ी कंटेनर डिपो एंव ड्राइव लगातार चल रहा है और जब तक यह कार्य पूर्ण नहीं हो जाता यह प्रयास जारी रहेगा।

भिवाड़ी अध्यक्ष बीएमआर चौधरी जसवीर सिंह ने बताया

भिवाड़ी में एनुअल जरनल मीटिंग में बताया कि जो साल भर के काम होते है और सरकार द्वारा काम कराए जाते है। रीको से, हाउसिंग बोर्ड से यूआईटी से ये रजिस्टार ऑफिस से जो भी जरनल उद्योगपतियों के काम होते है। उन कामो को विस्तार पूर्वक बताया गया। और यह बताया कि माननीय भूपेंद्र सिंह यादव और मुख्यमंत्री भजन लाल से भी बात की है। उद्योग चलाना बड़ा दूबर हो रखा है।

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पोलूशन से कोई लेना देना नहीं है। चौधरी जसवीर ने बताया कि अगर दिल्ली में पोलूशन 400 होता है तो भिवाड़ी में 200 होता है। भिवाड़ी पर पोलूशन का असर पड़ता है। इससे निजात दिलाने के लिए एनसीआर से बाहर कर दिया जाए, नहीं तो छूट दी जाएगी।

चौधरी जसवीर सिंह ने रखी मांग

उन्होंने बताया कि अभी तक छूट का कोई आश्वासन मिला है। चार साल होगी कोई छूट नहीं वो जरनेटर का है। उद्योगपतियों की इंडस्ट्री की जो डस्ट-वैगराह या पोलूशन इतना नहीं है, जो रोड और बरसात के पानी से है। हरियाणा में जो गन्दा पानी है उससे पोलूशन की समस्या ज्यादा होती है। सरकार के समझ में आ गई कि इंडस्ट्रियल एरिया भिवाड़ी की ज्यादा समस्याएं नहीं है और पेपर एनजीटी का फैसला था, वो आया है। सरकार से गुजारिश है कि ज्यादा से ज्यादा उद्योग को चलाया जाए और उनको छूट दी जाए। जिस प्रकार भी मनासिब हो और उनकी मदद की जाए।

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