भिवाड़ी की सांस्कृतिक के मामले में बहुत समृद्ध है। यह शहर की रचनात्मकता, शालीनता और सादगी में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। भिवाड़ी में सांस्कृतिक विरासत लोगों के प्रेमभाव और सहज जीवन में दिखाई देती है। भिवाड़ी शहर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, उत्सव और रंगो का आनंद लिया जाता है। भिवाड़ी शहर में त्यौहारों के अलावा, यहाँ पर अन्य मेले भी है, जो लोगों को विभिन्न अवसरों पर देखने को मिलता है। इस आर्टिकल में भिवाड़ी के सांस्कृतिक, कार्यक्रम, धर्म, पहनावा और हाथ से बनी हुई चीजों को दिखाई देती है। इसमें आपको बहुत कुछ देखने में मिलेगा।
भिवाड़ी में धर्म और भाषाएँ
भिवाड़ी में सभी धर्म के लोग रहते है और सबकी अलग-अलग भाषाएँ है। भिवाड़ी शहर में छोटे-छोटे कस्बे है, जहां लोग सभी शांति पूर्वक रहते है। भिवाड़ी में जातीय जनजातियाँ बहुतायत में रहती हैं-जैसे- बंजारा, मेवाती, मीना और मेव हैं। जिस तरह से सभी जातीय लोग रहते है, ठीक उसी तरह कई तरह की बोलियां बोली जाती है-जैसे-राजस्थानी, मारवाड़ी, अंग्रेजी और हिंदी हैं। वह कुशल कारीगर माने जाते है, जो सदियों से अपनी संस्कृति और परंपरा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहे हैं। भिवाड़ी में रहने वाले अधिकांश मुसलमान सुन्नी हैं। राजपूत भी भिवाड़ी में समाज के मुख्य वर्गों में से एक हैं। भिवाड़ी में राजपूत अपने वंश और सैन्य प्रतिष्ठा पर बहुत गर्व करते हैं। भिवाड़ी में बहुत कम लोग हैं, जो एक साधारण जीवन शैली जी रहे हैं और भिवाड़ी के पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। भिवाड़ी में रहने वाले अधिकांश लोग काफी शिक्षित और पेशेवर हैं और वह आधुनिक जीवन शैली जीने का अभ्यास करते हैं।
भिवाड़ी के लोगों की वेशभूषा

भिवाड़ी के लोग बहुत ही सरल और सहज जीवन जीते है। भिवाड़ी में ज्यादातर लोग व्यापारी होती है, जो कई तरह का काम करते है-जैसे-टाई-एंड-डाई साड़ियाँ, एथनिक ज्वेलरी और यहाँ तक कि कई तरह के हस्तशिल्प आदि कारीगर रहते है। भिवाड़ी के लोग सब अलग-अलग तरह के कपडे पहनते है-जैसे कुछ महिलाएं लहंगा, टाई-एंड-डाई साड़ियाँ, दुपट्टे और पटका पहनती हैं। वैसे ही कुछ पुरुष आम तौर पर पगड़ी पहनते हैं और पारंपरिक पोशाक के लिए व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। जिसमें पोटिया, धोती, अंगरखी, बंदा, ढाबला, पचवारा, बुगाटोरी और खोल शामिल हैं।
भिवाड़ी में संगीत और नृत्य
भिवाड़ी में धर्म और भाषाओ के अलावा संगीत और नृत्य को भी महत्व दिया गया है। भिवाड़ी में अलग-अलग संगीत और नृत्य सिखाएं जाते है। सबको अपने-अपने संगीत से प्यार है। वैसे ही नृत्य है। भिवाड़ी में भी संगीत और नृत्य की कक्षाएं दी जाती है। भिवाड़ी शहर में नाटक और रंगमंच का प्रचलन बहुत कम है, क्योंकि यहाँ पर ज्यादातर लोग अपने रोजमर्रा में काम करते है। यहाँ पर भिवाड़ी के लोगों में पर्याप्त समय भी नहीं है, जो नाटक और रंगमंच की गतिविधियों पर समय बिता सके।
भिवाड़ी में क्या-क्या कला है
भिवाड़ी में कला और शिल्प का क्षेत्र बहुत बड़ा है। भिवाड़ी के लोगों में कला और शिल्प के प्रति रुचि रखते है। भिवाड़ी में बहुत कम कला दीर्घाएँ हैं। यह अलवर के मुख्य शहर में पाई जाती है। भिवाड़ी में कुछ अपने हाथों की कला दिखाकर अपना कार्य करती है। कुछ लोग अपने चांदी की आभूषण के लिए प्रसिद्ध है। भिवाड़ी में कई चीजें हाथो से बनाई जाती है।
ये भी पढ़े: भिवाड़ी के मार्केट में क्या-क्या मिलता है और कौन-कौन बाजार शामिल है
शहर में पाई जाने वाली सभी समृद्ध हस्तशिल्पों में सबसे महत्वपूर्ण हैं-जैसे- कालीन, टेराकोटा मूर्तियाँ, कढ़ाई की हुई चमड़े की जूतियाँ या मोजरी, मिट्टी के बर्तन और चूड़ियाँ आदि। भिवाड़ी में आने वाले लोग अपने दोस्तों व परिवारों के लिए उपहार के रूप में खरीदते है। भिवाड़ी में जो लोग कला, शिल्प और हस्तशिल्प बेचते है उसके लिए कुछ दुकानें भी है।
भिवाड़ी में त्यौहार के मेले
भिवाड़ी एक ऐसा शहर है, जहां पर पुरे साल त्यौहार बनाएं जाते है। भिवाड़ी में हर त्यौहार पर मेला लगा होता है। भिवाड़ी शहर में सभी धर्म के अलग-अलग त्यौहार बनाएं जाते है-जैसे-भरथरी नाटक, स्वांग, गणेश चतुर्थी, तीज माता, होली, दीपाली और भाई दूज आदि कई त्यौहार बनाएं जाते है। शहर में हर साल भर हाथी पोलो, फूलों की प्रदर्शनी और फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताओं जैसे अन्य व्यापार मेले और प्रदर्शनियाँ भी आयोजित की जाती हैं। भिवाड़ी के मेले में लोग दूर-दूर से मेला देखने आते है। मेले में सभी प्रकार के खाने-पीने, बच्चे के खिलौने, झूला और महिलाओं के लिए समान आदि और भी चीजे मिलती है। भिवाड़ी में आने वाली यात्री और पर्यटक भिवाड़ी के लोगों की परंपरा और संस्कृति की विविधता और समृद्धि से आकर्षित होते हैं।