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भिवाड़ी एसपी की जासूसी के बाद साइबर सेल कठघरे में, आईजी ने कहा-एक दिन के भीतर नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं

भिवाड़ी एसपी न्यूज़

पुलिस की साइबर सेल ने केवल भिवाड़ी एसपी की जासूसी नहीं है। पुलिस सेटअप का यह डिवीजन कामकाज को लेकर गंभीर सवालों के घेरे में है। अलवर में भाजपा नेता यासीन की हत्या का आरोप जयपुर के पुलिस कांस्टेबल पर लगे थे। उसने साइबर ठग को यासीन की कार की लोकेशन निकलकर दी थी। जब साइबर सेल ने अपनी ही एसपी की जासूसी की तो सच सबके सामने आया है।

श्रवण जोशी पर आरोप

साइबर सेल कब, किसकी और क्या-क्या निजी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस में जुताई गई। भिवाड़ी एसपी के मामले में साइबर सेल के इंचार्ज श्रवण जोशी अपने स्तर पर ही टीम को खास नंबर देकर लोकेशन निकलवाते रहे। स्टाफ का कहना था कि उन्हें नहीं पता किसका नंबर था।

पुलिस दो तरह की लोकेशन और सर्विलांस नंबर के बारे में

पुलिस अक्सर दो तरह की लोकेशन लेती है। पहली “ए” श्रेणी की लोकेशन जो इंटरनेट यूज करने वाले मोबाइल धारक की निकाली जाती है। ये सबसे सटीक होती है। दूसरी “सी” श्रेणी की लोकेशन जो मोबाइल टावर के मार्फत मिलती है। पुलिस की साइबर सेल 24 घंटे में एक नंबर की लोकेशन कितनी बार भी ले सकती है। साइबर सेल का नियंत्रण एसपी करते है। सेल को एक अधिकृत मोबाइल नंबर जारी किया जाता है। उसी पर सर्विलांस वाले नंबर के बारे में जानकारी के मैसेज भेजे और मगाए जाते है।

लोकेशन की डिजिटल सूची

डिजिटल साक्ष्य कंपनियों के डेटाबेस में दर्ज रहता है। हर नहींए लोकेशन की सिजिटल सूची निकलती है और ये एसपी तक जाती है। यही से खेल शुरू होता है। अगर एसपी के स्तर पर अनावश्यक देता की छंटनी नहीं किए जाए या कोई चूक हो तो टीम की मनमानी और गड़बड़ी चल सकती है। दरअसल अधिकांश पुलिस जिलों में साइबर सेल के काम की स्क्रीनिंग नहीं होती। निगरानी में लिए नंबरो का रजिस्टर तक संधारित नहीं है। इसी लीक पोल का फायदा उठा दुरूपयोग किया जा रहा है।

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मोबाइल की लोकेशन कैसे निकलते थे

हर मोबाइल फोन की लोकेशन संबंधित टेलीकॉम कंपनी के पास रहती है जो कि कानून गोपनीय और निजी है। पुलिस और सरकारी एजेंसी लोकेशन लेने के लिए उक्त कंपनी से जानकारी लेते है।

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कंपनी संबंधित यूजर के एक्टिव फोन की लोकेशन मोबाइल नंबर तथा आईएमईआई नंबर इस्तेमाल होता है। यही जानकारी साइबर सेल जीता लेती है।

आईजी ने कहा

बुरे लोग हर जगह होते है। गैर-क़ानूनी कामों में शामिल पुलिसकर्मियों या अधिकारी पर जो भी कार्रवाई बनती है, वो पूरी की जाएगी। पुलिसकर्मियों ने ऐसा काम किया है कि उसे जस्टिफाई नहीं कर सकते। साइबर क्राइमसे जूसी घटनाओं में साबुत स्थायी प्रकृति के होते है। भिवासी साइबर सेल के अब तक सभी कार्यो का भी डिजिटल एविडेंस मौजूद है। इसकी बारीकी से जांच भी होगी, ताकि पहले और भी कोई ऐसा काम किया है तो वो सामने आ जाए। दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। भिवाड़ी एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी की लोकेशन ट्रेक करने के मामले में जांच जारी है। आईजी यह भी कहा कि एक दिन के भतार नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा। कार्रवाई न्यायसंगत हो, कोई निर्दोष न फंसे इसके लिए बिना जांच निर्णय करना उचित नहीं है।

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