दीपावली के बाद अलवर और भिवाड़ी में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया। अलवर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 168 पर पहुँच गया, जबकि भिवाड़ी का AQI 341 के खतरनाक स्तर पर दर्ज किया गया है। क्षेत्रों में बढ़ते स्मॉग के कारण शहर दिन भर धुंध की चादर में लिपटा नजर आ रहा है। जिससे लोगों को साँस लेने में दिक्कत आ रही है। प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासन एंटी-स्मॉग गन से पुरे दिन पानी का छिड़काव कर रहे है, ताकि हवा में मौजूद हानिकारक कणों को नियंत्रित किया जा सके। इसके साथ ही लोगों को सलाह दी जा रही है कि वह अपने घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें और प्रदूषण से बचने के उपाय अपनाएं।
एक्यूआई से खतरा क्यों
एक्यूआई एक तरह का थर्मामीटर है। यह तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद सीओ (कार्बन डाइऑक्साइड), ओजोन, एनओ 2( नाइट्रोजन डाइऑक्साइड), पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और पीएम 10 पोल्युटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है। उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
एक्यूआई से बढ़ती समस्या
हवा में पोल्युटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, एक्यूआई का स्तर उतना ज्यादा होगा। जितना ज्यादा एक्यूआई, उतनी खतरनाक हवा। वैसे एक्यूआई 200 से 300 के बीच खराब माना जाता है। लेकिन अभी भिवाड़ी सहित हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। बढ़ता एक्यूआई सिर्फ एक नंबर नहीं है, बल्कि आने वाली बीमारियों का संकेत भी है। हवा में जो बेहद छोटे कण यानी पार्टिकुलेट मैटर की पहचान उनके आकार से होती है। 2.5 उसी पार्टिकुलेट मैटर का साइज है। इसे माइक्रोन में मापा जाता है। इसका मुख्य कारण धुंआ है। जिसमे कुछ भी जलाया जा रहा है। वहाँ से पीएम 2.5 प्रोडक्शन हो रहा है। इंसान के सिर के बाल की अगले सिरे की साइज 50 से 60 माइक्रोन के बीच होता है। ये उनसे भी छोटे 2.5 के होते है। इन्हे खुली आँखों से नहीं देखा जा सकता।
एयर क्वालिटी अच्छी है या नहीं
एयर क्वालिटी अच्छी है या नहीं, यह मापने के लिए पीएम 2.5 और पीएम 10 का लेवर देखा जाता है। हवा में पीएम 2.5 की संख्या 60 और पीएम 10 की संख्या 100 से कम है। इसका मतलब है कि एयर क्वालिटी ठीक है। गैसोलीन, ऑयल, डीजल और लकड़ी जलाने से सबसे ज्यादा पीएम 2.5 पैदा होते है।
भिवाड़ी शहर में वायु प्रदूषण का स्तर
भिवाड़ी शहर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है। जिससे यहाँ की हवा दिन पर दिन जहरीली होती जा रही है। भिवाड़ी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 321 तक पहुंच गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह आंकड़ा 281 था और बाद में 299 था। तीनों ही दिन इलाकों में स्मॉग की घनी चादर छाई रही। उधर, सीक्यूएम के सख्त निर्देशों के बावजूद भिवाड़ी में प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है।
अलवर बाईपास का हाल
अलवर बाईपास से आशियाना आंगन के पास से गुजरने वाले 45 मीटर के कच्चे रास्ते पर वाहनों का आवागमन पुरे बना रहता है। प्रदूषण नियंत्रण के तहत इन कच्चे रास्तों पर वाहनों के संचालन पर रोक है,
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लेकिन इसके बावजूद यहाँ भारी संख्या में वाहन गुजरते देखे जा रहे है। प्रशासन की और से न तो इन रास्तों को बंद कोशिश की जा रही है न ही उड़ती धूल को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर केके शर्मा ने बताया
उन्होंने बताया कि एक्यूआई के 321 तक पहुंचने का मतलब है कि हवा में खतरनाक स्तर तक प्रदूषण है, जिससे साँस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इस तरह की हवा में साँस लेना फेफड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है और लोगों को जितना हो सके घर के अंदर रहने की सलाह दी जा रही है।
प्रदूषण से बढ़ती बीमारियां
प्रदूषण में बढ़ोतरी होते ही अस्पतालों में खांसी, जुकाम, बुखार, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी साँस संबंधी बीमारियों के मरीज बढ़ रहे है। वही मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पाकिस्तान की और से हवाएं भारत की और आ रही है। ऐसे में संभावना है कि दिल्ली-एनसीआर में 6 दिन और एक्यूआई इसी कैटेगरी के आसपास बना रहेगा। हवाओं की रफ़्तार 5 से 15 किमी तक रह सकती है। अलवर बाइपास पर छाया स्मॉग।