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भिवाड़ी में स्थित काली खोली धाम का इतिहास, जाने बाबा मोहन राम की आरती

भिवाड़ी बाबा मोहन राम मंदिर न्यूज़

बाबा मोहन राम मंदिर मिलकपुर गुर्जर गांव में स्थित है। यह मंदिर राजस्थान के अनेकों मंदिर व धार्मिक स्थल में से एक प्रसिद्ध मंदिर है। मोहन राम मंदिर पहाड़ो में स्थित है। बाबा मोहन राम मंदिर एक हिन्दू देवता का मंदिर है, जो कलियुग में श्रीकृष्ण के दूसरे अवतार मानते है। श्रीकृष्ण जो द्वापर युग में प्रकट हुए थे। बाबा मोहन राम के मंदिर को काली खोली धाम भी कहते है। बाबा मोहन के मंदिर पर पुरे से लोग दर्शन करने आते है और जो भी बाबा मोहन राम मंदिर पर आते है, उसके सारे दुःख और मनोकामना पूरी होती है। यह मंदिर हर साल खुला रहता है। बाबा मोहन राम का मंदिर भिवाड़ी जो कि राजस्थान के अलवर जिले में हरियाणा बॉर्डर पर धारूहेड़ा के पास है। जो दिल्ली से 60-70 किमी दूर है। बाबा मोहन राम की पूजा गुर्जर ज्यादा करते है। इस स्थान पर जाने का अच्छा दिन हर महीने की दोज है। दोज महीने के पूर्णिमा के बाद दूसरा दिन होता है।

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बाबा मोहन राम के दिव्य नाम

बाबा मोहन राम नीले घोड़े पर सवारी करते है इसलिए उन्हें नीले घोड़े वाले बाबा के नाम से जाना जाता है। उन्हें शेष नाग का अवतार माना जाता है। खुर के नाम से भी जाना जाता है। बाबा मोहन राम को आम तौर पर एक ब्राह्मण के रूप में कपड़े पहने और लकड़ी की चप्पल पहने दिखाया जाता है। उन्हें एक सिंहासन पर भी चित्रित किया गया है जिसे उन्होंने ब्रह्मलोक से प्राप्त किया था। मोहन राम के दिव्य नाम से जाना जाता है।

बाबा मोहन राम के प्रति श्रद्धालु की आस्था

बाबा मोहन राम का नाम विष्णु, कृष्णा और राम के रूप में लिया गया है, क्योकि वह त्रिमूर्ति का एक रूप माने जाते है। उन्हें अपने भक्तों द्वारा ब्रह्मांड के निर्माता, अनुचर और संहारक के रूप में देखा जाता है। बाबा मोहन राम की गुफा मिलकपुर, भिवाड़ी में काली खोली के पहाड़ पर स्थित है। काली खोली के मंदिर में अखंड ज्योत भी जलाई जाती है जो पहाड़ पर मौजूद है। दोज और छटीमाई दोज (छह महीने का त्यौहार) के दौरान भक्त बड़ी संख्या में आते है और उनकी अखंड ज्योत में घी चढ़ाते है, ताकि उनकी समस्या दूर हो सके। बाबा मोहन राम के मंदिर पर भक्त धूनी को भोग, गाय के गोबर के उपले चढ़ाते है, ताकि उनकी सारी बीमारी दूर हो सके। जो लोग बाबा मोहन राम में सेवा करते है, उन्हें लाभ होता है जैसे-मंदिर के फर्श पर झाड़ू लगाना, गरीब को भोजन दान करना, पक्षियों को पानी पिलाना और जानवरो को चारा खिलाना आदि। मोहन राम के पहले भक्त नन्दू भगत थे।

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मिलकपुर मंदिर में भक्तों की भीड़

मिलकपुर मंदिर में भक्तो की भीड़ दो बार ज्यादा होती है, होली और रक्षाबंधन पर। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी के ज्योत के दर्शन करने पहुंचते है। कई लोग तो काली खोली नंगे पैर जाती है। दोज पर मेला लगता है। मंदिर में खड़े पेड़ो पर कलाव बांधकर मनत मांगती है। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करने के लिए यूपी, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु मिलकपुर से काली खोली तक लगभग चार किलोमीटर की यात्रा करते है। कुछ लोग को अपने पेट के बल पर लेटते हुए मुख्य भवन में जाते है। कुछ तो अपनी मन्नत पूरा होने पर नंगे पैर पैदल यात्रा करते है। मुख्य पर्वत पर बानी काली गुफा और अखंड ज्योत के दर्शन के लिए करीब 121 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है।

काली खोरी मंदिर का इतिहास

काली खोरी मंदिर करीब 350 साल पहले भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर नंदू नाम का एक ब्राह्मण गाय चराने के लिए मिलकपुर गुर्जर के गांव में जाता था। नंदू श्री कृष्ण की पूजा करते थे। उनकी आस्था देकर भगवन श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन देने की सोची। रोज नंदू अपनी गायो को चराने के लिए जाता था, लेकिन एक दिन एक अनजानी गाय आकर उनकी गायो के पास आकर घास चरने लगी। वह अपनी गायो को घर ले जाते, तो वह भी अपने रास्ते चली जाती। ऐसा ही एक साल बीत गया। एक दिन नंदू ने सोचा कि यह गाय कहा से आती है और किसकी गाय है। इसका पता लगाने के लिए उसने गाय का पीछा किया। वह गाय गुफा में चली गई। नंदू भी गाय के पीछे-पीछे गुफा में चला गया। गुफा में से भगत नंदू का नाम पुकारा और वहा जाकर उसने एक साधु को देखा। उसने कहा-आप कौन हो महाराज।

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महाराज ने कहा-मैं त्रेता युग में श्री राम और द्वापरयुग में श्री कृष्ण और अब कलियुग में बाबा मोहन राम के नाम से जाना जाऊँगा और कहा तुम एक साल से मेरी गाय की सेवा कर रहे हो, बदले में तुम्हे क्या चाहिए। नंदू ने कहा-मुझे कुछ नहीं चाहिए। में आप से मिल चुका हूं, इतना काफी है।

साधु (बाबा मोहन राम) ने नंदू भगत से क्या कहा

साधु (बाबा मोहन राम) ने कहा नहीं, तुम्हे कुछ लेना होगा, उन्होंने नंदू को अपना परम भक्त बोला और नंदू को वचन दिया कि जीवन की सभी समस्याओ में उसका साथ देंगे। उन्होंने जो भी शब्द बोले उनको पूरा करेंगे। यह आशीर्वाद उनकी सात पीढ़ियों के साथ रहेगा। उसके बाद नंदू भगत ने अखंड ज्योत जलाई जहा काली खोली बाबा मोहन राम प्रकट हुए थे। फिर बाद में नंदू भगत जी ने मिलकपुर में स्थित जोहड़ की पल पर झोपड़ी बनाकर बाबा मोहन राम की पूजा करने लगे। तभी से मिलकपुर में बाबा मोहन राम की पूजा स्थल बन गया और अखंड ज्योत से पूजा की जाने लगी। इसके बाद भिवाड़ी के अलावा, दूर-दूर से लोग दर्शन करने आने लगे।

बाबा मोहन राम की आरती

जगमग जगमग जोत जगी है, मोहन आरती होन लगी है

जगमग जगमग जोत जली है, मोहन आरती होन लगी है।
पर्वत खोली का सिंहासन, जाह पे मोहन लाते आसन।।
वो मंदिर में देते भाषण, कला मोहन की बोहोत बड़ी है।। ।।
मोहन आरती होने लगी है। जगमग जगमग ……

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मोहन दया जीवों पे करना, हम बालक हैं तेरी शरणा।
काली खोली कला जगी है, मोहन आरती होने लगी है।।
जगमग जगमग ……

यहाँ पे मन सब राखियों सच्चा, चाहे बूढ़ा चाहे बच्चा।
मोहन राम ने विपत हरी हैं,  मोहन आरती होने लगी है।।
जगमग जगमग ……

प्रेम से मिलकर शक्कर बाटों, बाबा जी का जोहड़ छांटो।
मोहन राम से लगन लगी हैं। मोहन आरती होन लगी हैं।।
जजगमग जगमग ……

आरती बंसी वाले की साफ मन तन के काले की

आरती बंसी वाले की साफ मन तन के काले की।
आप मथुरा में जन्माएं, पिता ले गोकुल में आए।।
छवि है नंद के लाले की, साफ मन तन के काले की।। ।।

आरती बंसी वाले की साफ मन तन के काले की…
चेराई गौ यमुना तट पे, मुरलिया नित् बाजी वट पे।
छवि गउओं के ग्वाले की, साफ मन तन के काले की।।
आरती बंसी वाले की ……

मारे दिए जरासंध शिशुपाल, कंस पापी का कर दिया काल।
आरती जग रखवाले की, साफ मन तन के काले की।।
आरती बंसी वाले की……

शरण में आया है रामपाल, श्याम मेरा भी करना ख्याल।
लाज रख गाने वाले की, साफ मन तन के काले की।।
आरती बंसी वाले की …….

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