सरिस्का के बफर जोन से निकला टाइगर एसडी 2303 कोटकासिम के जकोपुर गांव में पहुंच चुका है। जकोपुर गांव के रहने वाले नरेश पुत्र झमन लाल प्रजापत ने बाघ को सड़क क्रॉस करते हुए देखा। साथ ही जकोपुर गांव से मात्र 100 मीटर की दूरी पर ही खेतों में बाघ एसटी 2303 के पग मार्ग भी देखे गए थे। सुचना के बाद मौके पर जकोपुर और मसवासी गांव के लोग बड़ी संख्या में मौके पर इकट्ठे हो गए और बाघ के पगमार्को के आधार पर उसकी तलाश शुरू की।
गांव वासियो को क्यों आया इतना गुस्सा
इसी दौरान सरिस्का रेंजर्स शंकर सिंह सहित किशनगढ़ बास रेंजर्स को टेलीफ़ोन से सुचना दी गई, लेकिन 3 घंटे बीत जाने के बाद भी मौके पर न तो वन विभाग की टीम पहुंची और न ही पुलिस विभाग का कोई कर्मचारी पहुंच पाया। बाघ की सुचना के बाद पुरे गांव में दहशत का माहौल है। लोग खेतों में जाने से डर रहे है और बार-बार वन विभाग की टीम को सूचना दे रहे है, लेकिन वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंचने से ग्रामीणों में भारी गुस्सा है।
बाघ एसटी 2303 मानव जाति के लिए बना खतरा
सरिस्का के बफर जोन से निकला बाघ एसटी 2303मानव जाति के लिए खतरा बन चुका है। यह बाघ पहले भी सरिस्का से निकलकर कोटकासिम क्षेत्र से होता हुस रेवाड़ी पहुँच गया था। लेकिन बाद में अपनी टेरिटरी बनाते हुए वापस बानसूर होता हुआ सरिस्का पहुंच गया था।
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इस दौरान बाघ ने एक व्यक्ति को नरवाश गांव में घायल किया था। इस बार भी सरिस्का के बफर जोन से निकले इस टाइगर ने पांच लोगों को घायल कर दिया। लेकिन वन विभाग टीम टाइगर को रेस्क्यू करने में असफल साबित हो रही है।
भगाना गांव में मिले थे पगमार्क
जकोपुर गांव से सहज 3 किलोमीटर दूर राजस्थान के ही भगाना गांव में टाइगर एसटी 2303 के पगमार्ग देखे गए थे। उस दिन वन विभाग की टीम पुरे दिन डेरा जमाए बैठी रही लेकिन बाघ को पकड़ नहीं पाई। वन विभाग टीम खेतों में खाक छानती रही, लेकिन ना तो उन्हें बाघ के पगमार्ग मिले और ना ही बाघ मिला। अचानक जकोपुर में बाघ के पग मार्क देखे गए और बाघ भी दिखाई दिया।