होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, जाने इसके पीछे सच्ची कहानी

होली की कहानी

होली का त्यौहार हिन्दुओ का त्यौहार है। होली का त्यौहार प्राचीन काल से मनाता चला आ रहा है। होली का त्यौहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है। होली रंगो का त्यौहार है, जहां लोग होली के त्यौहार को बड़े ही धूम-धाम से बनाते है। जिस दिन लोग दुश्मनी को भी भूल जाते है और एक-दूसरे के साथ प्रेम-भाव से होली खेलते है। इसी के साथ वह दूसरों के घर जाकर बधाई देते है। इसमें लोग आमिर-गरीब, जाति-पाँति आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। लोग अपने घर कई तरह के पकवान बनाते है और होली सबसे खास मिठाई होती है। जिसका नाम गुजिया है। इसके साथ लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करते है। होली का त्यौहार बड़ा ही शानदार है। इस आर्टिकल में होली की और भी कहानी जानेंगे कि होली क्यों मनाई जाती है और कैसे शुरू हुई होली सभी के बारे में जानेगे।

होली मनाने की कहानी

यह कहानी है हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की है। प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी तथा अत्यंत बलशाली असुर राजा था। वह एक शैतान था और उसकी क्रूरता के लिए उससे घृणा की जाती थी। वह खुद को भगवान मानता था। वह चाहता था कि राज्य की सारी प्रजा उसकी पूजा करें। लेकिन उनका अपना एक पुत्र था, जिसक नाम प्रह्लाद था। वह भगवान विष्णु का भक्त था। वह उनकी पूजा किया करता था। उसने अपने पिता की पूजा करने से इंकार कर दिया। उसने अपने बेटे के मना करने के कारण से नाराज होकर हिरण्यकशिपु ने कई बार अपने बेटे को मरने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। उसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को वरदान था कि वह आग उसे नहीं जला सकती है। इसलिए प्रह्लाद को मारने के लिए, उसने उसे अपने साथ चिता पर बैठने के लिए बहकाया। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर आग लगा दी गई। लेकिन उसके गलत इरादों के कारण ही उसकी शक्ति उस पर ही निष्प्रभावी हो गई। होलिका आग में जलकर राख हो गई और प्रह्लाद बच गया। इसलिए होलिका दहन मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी।

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होलिका दहन

होली के त्यौहार के कुछ दिन पहले लोग होलिका जलाने से पहले उसका सामना जमा कर लेते है-जैसे-लकड़ी, ईंधन और अभी अन्य समान आदि। इसके बाद वह इन समान को लेकर कॉलोनियों, सोसाइटी या किसी पार्क। कही भी खाली स्थान हो वही पर होलिका का समान इकठ्ठा किया जाता है। होलिका वाले दिन इसको पूजा जाता है। उस दिन हिन्दू महिलाएं होलिका को पूजती है और व्रत भी रखती है। इस होलिका के चारों तरफ महिलाएं कलावा बांधते है और दुआ करती है वह अपने परिवार की शांति के लिए दुआ करती है। यह होलिका सुबह-शाम दो बार पूजी जाती है। जब शाम को होलिका जलाई जाती है, तो सभी आदमी लोग जमा हो जाते है। होलिका जलाने से पहले पूजा करके तब होलिका में आग लगाई जाती है। होलिका आग में गेंहू की बाली को भी भूंजा जाता है। ऐसे होलिका जलाकर बुराई को मिटाकर अच्छाई पर जीत की प्रतीक होता है।

होली वाले दिन कैसे मनाते है

होली रंगो का त्यौहार है। होली का दूसरा दिन रंगो का दिन होता है, जिसे धुलंडी, फगवा या बड़ी होली कहते हैं। इस दिन लोग सबके साथ खुशियां मनाते है। इस दिन छोटे से लेकर बड़े तक होली खेलते है। बच्चे अपने पिचकारी और गुब्बारे में पानीभरकर दूसरे के ऊपर फेकते है। बड़े लोग भी एक दूसरे को रंग लगाते हैं, पार्टी करते हैं और आनंद लेते हैं। होली पर एक खास मिठाई बनाई जाती है, जिसका नाम गुजिया है। सभी के घर अलग-अलग तरह के पकवान बनते है। होली पर लोग एक-दूसरे के घर बधाई देने जाते है। होली का त्यौहार सबसे अच्छा और मजेदार है। यह ऐसा त्यौहार है, जिसमे लोग दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे को गले लगते है और रंग लगते है।

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